दूसरे राज्यों में फंसे प्रवासी मजदूरों का तीसरे दिन सोमवार को झारखंड लौटना जारी रहा। सोमवार को तीन ट्रेनों और बसों के जरिए करीब तीन हजार मजदूरों की घर वापसी हुई। धनबाद और जसीडीह में कालीकट और तिरुवनंतपुरम से 2303 मजदूर ट्रेन से लौटे। इसके अलावा राजस्थान के नागौर से 905 प्रवासियों को लेकर एक स्पेशल ट्रेन बरकाकाना पहुंची। स्टेशन से इन मजदूरों को बसों के सहारे घर भेजा गया।
इसके अलावा बीते दो दिनों में लातेहार में 195, सिमडेगा में 12, गढ़वा में 996, गुमला में 26, लोहरदगा में 100, चतरा में 79, कोडरमा में 110 प्रवासी मजदूर और छात्रों की बसों से घर वापसी हुई। केरल के कालीकट से प्रवासी मजदूरों को लेकर श्रमिक स्पेशल ट्रेन सोमवार की दोपहर 12 बजे धनबाद पहुंची। ट्रेन पर 1,158 मजदूर और उनके परिजन सवार थे। धनबाद स्टेशन पर थर्मल स्क्रीनिंग के बाद मजदूरों बाहर निकाला गया। धनबाद पहुंचे मजदूरों ने बताया कि 860 रुपए किराया देकर वे लोग ट्रेन में सवार हुए। दूसरी ट्रेन तिरुवनंतपुरम से 1129 मजदरों को लेकर जसीडीह स्टेशन पहुंची। डीसी यहां पुष्प देकर सकुशल घर वापसी की शुभकामनाएं दी गईं।

घर लौटने की खुशी से ज्यादा नौकरी छूटने का गम : केरल के कालीकट से धनबाद पहुंची श्रमिक स्पेशल ट्रेन से हजारों मजदूर महीनों बाद अपने घर आए। कोरोना वायरस के खतरे के बीच घर पहुंचने से चेहरे पर सुकून दिख रहा था, लेकिन सबके मन में एक ही बात चल रही थी कि अब घर पर रहकर करेंगे क्या, परिवारवालों का खर्च कहां से उठाएंगे। सरायकेला-खरसावां के रहनेवाले मो आरिफ अपने दोस्त उस्बाह हुसैन के साथ धनबाद स्टेशन पहुंचे। हिन्दुस्तान से बातचीत में बताया कि घर आने के नाम पर खुशी तो हो रही है, लेकिन साथ ही साथ चिंता सता रही है कि लॉकडाउन नहीं खुला, तो हम करेंगे क्या। झारखंड में उतनी मजदूरी नहीं मिलती जितना वहां कमा लेते थे। यहां दिनभर काम करने पर 180 रुपए मुश्किल से मिलता है, वहां एक दिन का 500 रुपए मिलते थे। पूरे घर की जिम्मेवारी है। दोनों ही दोस्त वहां कारपेंटर का काम करते थे। लॉकडाउन खुलने के बाद वह फिर से वापस केरल जाएंगे, लेकिन उनलोगों का मालिक फिर से नौकरी देगा या फिर किसी और को काम पर रख लिया होगा, इसकी चिंता अधिक सता रही है।